सज़ा रहें है महफ़िल नयी खुशिओं से पर,
तेरे बगैर समा जलना अब अच्छा न लगे |
ये घूघंट का गिराना भरी तो पड़ा है ,
तेरे बगैर उठाना अब अच्छा न लगे |
इस महफ़िल पे नज़र मेरी पड़ जाए न कहीं;
तेरे बगैर ये जमाना अब अच्छा न लगे|
साज़ पे है ग़ज़ल वो धुन भी साथ है,
तेरे बगैर ये तराना अब अच्छा न लगे|
इंतजार में तेरे यहाँ मै बेचैन पड़ी,
तेरे बगैर ये शहर अब अच्छा न लगे |
आ जा सनम हम तेरे दीदार को तरसें,
तेरे बगैर कुछ और अब अच्छा न लगे|
तेरे बगैर समा जलना अब अच्छा न लगे |
तेरे बगैर उठाना अब अच्छा न लगे |
इस महफ़िल पे नज़र मेरी पड़ जाए न कहीं;
तेरे बगैर ये जमाना अब अच्छा न लगे|
साज़ पे है ग़ज़ल वो धुन भी साथ है,
तेरे बगैर ये तराना अब अच्छा न लगे|
इंतजार में तेरे यहाँ मै बेचैन पड़ी,
तेरे बगैर ये शहर अब अच्छा न लगे |
आ जा सनम हम तेरे दीदार को तरसें,
तेरे बगैर कुछ और अब अच्छा न लगे|
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