घर में उजियारा लेन को ।
चुटकी भर गम भी जादा है
सारा शहर जलने को ।
लाई थी मै प्यार का खिलौना,
उसको भी तुमने तोड़ दिया,
तुम ही बताओ अब क्या लाऊ,
पागल दिल बहलाने को।
मिटना चाहे तुम बिन जैसे ,
मेरी सारी ही दुनिया, पंछी चुप होने पे आमादा,
और फूल कुम्हलाने को ।
बेबस पागल या दीवानी,
जो चाहो पुकारो तुम,
तेरी खातिर हम है राज़ी,
यारा कुछ भी कहलाने को ।
तुमने दिया था धोखा जो,
खाया मैंने कुछ कहे बिना,
कब आओगे दे दो संदेशा,
अब के ज़हर खिलाने को ।
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