मै नहीं हूँ मेरी यादों से लिपट करके रोए हो
मेरी तस्वीर के आगे बैठ करके रोए हो |
गैर कहते ही रहे मुझको हर पल तुम तो
मै नहीं हूँ मेरे साये को देख करके रोए हो |
तेरी खुशिओं में सजी है महफ़िल फिर तो
जशन- ए-रात की तन्हाई में सिमट करके रोए हो |
मेरे दिल को जला कर हुई तसल्ली तुमको
अश्क आँखों में समेटे जी भरके रोए हो |
अश्क आँखों में समेटे जी भरके रोए हो |
मै थी जिंदा थी तेरी पर तू नहीं मेरा
मेरी तस्वीर को सीने से लगा करके रोए हो |
मेरे दिल में खुदे थे नक्श तेरे
अपनी नफरत को बहुत देर बता करके रोए हो |
जब तलक थे हम हजारों गिले थे तुम्हे
अब नही हूँ इश्क बलिस्तों से नाप करके रोए हो |
"निमिशा" लिखती ही रही खुद की ग़ज़ल तुम पर
नहीं है वो ये अफसाने दुहरा करके रोए हो |