कल और आज ...

चल रहे है आज भी हम यहाँ 
राह भी वही रहगुजर है वही
 बस किस्मत ही बदल गयी चलते हुए 
इसमें नहीं दोष रहा इन क़दमों का |



हम चले थे आज भी उसी साहिल से 
नही है तो बस साथ  लहरों  का
ये  तूफाँ  ही बहा ले गया दूर उसको   
 इसमें  नही दोष रहा इन  बूंदों  का |


मंजिलें थी तो आज भी  वहीँ
और टिका साहिल भी  वहीं था 
कुछ साथ न था तो वो गुजरा कल 
इसमें नहीं दोष  रहा इन  लहरों  का |



यहाँ के नज़ारे आज भी उतने हसीं हैं 
की हर दिल यहाँ फिर से  जवाँ हो जाते हैं
ओझल हो गई तो बस अपनी खिलखिलाहट 
 इसमें नहीं दोष  रहा इन  नज़रों का | 

  
 

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"निमिश"

"निमिश" अर्थात पल का बहुत छोटा हिस्सा जितना कि लगता है एक बार पलकों को झपकने में | हर निमिश कई ख़याल आते हैं, हर निमिश ये पलकें कई ख़्वाब बुनती हैं | बस उन्ही ख़्वाबों को लफ्जों में बयान करने की कोशिश है | उम्मीद है कि आप ज़िन्दगी का निमिश भर वक़्त यहाँ भी देंगे | धन्यवाद....